यूँ तो हर लम्हा खुदको समेटते रहेते हैं, फिर भी ख्वाहिश है "एक लम्हा", यूँ तो हर लम्हा खुदको समेटते रहेते हैं, फिर भी ख्वाहिश है "एक लम्हा",
भूलती भी कैसे आख़िर पहला प्यार जो था उसका। भूलती भी कैसे आख़िर पहला प्यार जो था उसका।
खुशी तभी असली है जब उसे साजा किया जाए। खुशी तभी असली है जब उसे साजा किया जाए।
अनीष बोला- अच्छा पापा चलता हूँ।और वो चला गया। नीलेश अपनी बेटी के साथ खेलने लगा। अनीष बोला- अच्छा पापा चलता हूँ।और वो चला गया। नीलेश अपनी बेटी के साथ खेलने लग...
यह छुट्टिया हमेशा के लिए नहीं हो सकती? फिर तो कितना मजा आ जाता ! यह छुट्टिया हमेशा के लिए नहीं हो सकती? फिर तो कितना मजा आ जाता !
चलिये हम सब इन लोगो के ढेर सारी दुआयें यह तो हम लोग कर ही सकते हैं। चलिये हम सब इन लोगो के ढेर सारी दुआयें यह तो हम लोग कर ही सकते हैं।